सफलता हेतु गलतियों के सीख लें ...
आज प्रतियोगिता के युग में प्रत्येक नवयुवक के सामने ऐसी परिस्थियाॅ सामने आती है जो उसे अपने अनुकूल नहीं लगतीं, लेकिन यदि वह उन परिस्थितियों का सामना संयम से करता है, तो उसकी सफलता निश्चित है। कोई भी कदम और कोई भी मंजिल अपने आप पूर्ण नही होती, क्योंकि उसके आगे फिर नया कदम आपको बढना होता है।
जीवन सदैव एक ही प्रवाह से नही बहता। वह नदी के जल के समान है, जिसमें शिखर से उत्तर कर एक जलधारा सदैव बहती है। चलते चलते सामने एक शिला आ जाती है। शिला वहाॅ से हटने वाली तो नही, अब पानी क्या करेगा? वेग इतना हो कि शिला बह जाए तो ठीक अन्यथा प्रवाह शिला कर आकर रुकेगा, रुक कर कुंठित नही होगा। प्रवाह तो जारी ही रहेगा। मनुष्य के धैर्य और संयम की जाॅच विपरीत परिस्थितियों मे होती है । ऐसा देखा जाता है। कि विपरित परिस्थितियाॅ होने पर युवा वर्ग उन्नति का स्वप्न त्याग देते है, उसे त्यागा नही जाना चाहिए बल्कि उसे वरदान बनाया जा सकता है । जीवन में असफलता कुॅठा पैदा करती है, लेकिन इस कुॅठा का बेहतर उपयोग हो सकता है। कुॅठा ही है जो प्राण चेतना में भंवर का काम करती है। उत्साह और प्रेरणा निराशा से ही प्राप्त होती है। जहाॅ आगे का मार्ग बदं नजर आता है। महान संकट, महान मनुष्यों तथा महान साहस पूर्ण कर्मों को जन्म देता है। महान व्यक्तियों के समक्ष परिस्थितियाॅ, पारिवारिक माहौल कुछ भी उनके अनुकूल नही था, लेकिन फिर भी वे महान व्यक्तित्व कहलाए, नेल्सन मंडेला जैसे युवक ने एक नई सुबह का ख्वाब देखा। परिस्थितियाॅ विपरीत थीं, लेकिन उसे साकार कर अपना लक्ष्य प्राप्त किया। यही सही है कि जीवन भर का साहस, संघर्ष अंतिम साहसपूर्ण क्षण की अपेक्षा कम महत्वपूर्ण होता है किन्तु यह किसी भी प्रकार उससे कमतर जीत और ट्रेजेडी भरा कार्य नही है। एक मनुष्य वहीं करता है जो उसे करना चाहिए, विरोध और खतरेे के दबावों के बीच चाहे उसका परिणाम कुछ भी क्यों न हो यही साहस उसकी नैतिकता की आधारशिला है। आज युवा पीढी को जरुरत है कि वह अपन ऊर्जा का सही रुप और सही दिशा में प्रयोग करें, कयोंकि थोडी सी असफलता उसे कुंठित कर देती है, जिससे वह अपने पथ से भटक जाता है। विपत्ति से बढकर अनुभव सिखाने वाला विद्यालय आज तक नही खुला । इसलिए अनुभवों से सीख लेकर आगे का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए । एडीसन जिसने हजारों बार विफलता के बावजूद जब अन्त में बल्ब का अविष्कार किया, तो उसने कहा था कि यदि तुम जीवन में सफलता पाना चाहते हो तो धैर्य को अपना घनिष्ठ मित्र, अनुभव को अपना परामर्शदाता और सावधानी को अपना बडा भाई बना लो और आशा को अपनी संरक्षक प्रतिभा। फिर देखों सफलता रुपी चमक सदा आपके जीवन मे आती रहेगी।
शुभकामनाओं सहित,
सुधीर वाघेला
मुख्य सम्पादक
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